नीलाम्बरा में प्रकाशित एक लघु कविता
मृगकन्या
जंगल में अधिक सुरक्षित
महसूस करती है
क्योंकि
वहाँ भेड़िया,
भेड़िया ही नज़र आता है,
उसके आदमी के खाल में होने का
डर नहीं है ,
क्योंकि
जंगल,
जंगल है,
शहर नहीं है।
Saturday, June 13, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment