क्या तेरे दिल में है बता साहिल।
रेत के ज़र्रे न उड़ा साहिल।
तेरे आगोश में समंदर है
और अब चाहता है क्या साहिल।
जाती लहरों को अलविदा कह दे
आती लहरों में डूब जा साहिल।
मुझ में भी कारवां है मौजों का
आ मुझे भी गले लगा साहिल।
सूखी झीलों में दरिया रहते हैं
छेड़ न इनको न जगा साहिल।
कश्तियाँ कैसे लौट पायेंगी
रुख बदलती नहीं हवा साहिल।
कितने दरिया 'सजल' गए आए
तूं न बदला वहीँ रहा साहिल.
aagosh me samandar ka jwaab nahin
ReplyDeletewaah waah
bahut khoob !
स्वागत है।
ReplyDelete"तूं न बदला वहीँ रहा साहिल."
अड़े रहिए और ग़ज़ल लिखते रहिए।
wah !narayan narayan
ReplyDeleteआप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
ReplyDeleteलिखते रहिये
चिटठा जगत में आप का स्वागत है
गार्गी
Irshad
ReplyDeleteWelcome in the world of Blogging. A very nice gazhal.
ReplyDeleteJisne jeeven jiya ho, wahee istraha likh sakta hai..aunubhavse nikle alfaaz hain!
ReplyDeleteBlog par aane ke liye aur saraahne ke liye dhanyavaad. koshish karoonga aur adhik aur acchi gazalen aap tak pahunchane ki.
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