Wednesday, October 26, 2011

डूब जाने का तो डर होता है.
फिर भी हर रोज़ सफ़र होता है.

वो किनारों पे ही रह जाते हैं
जिनको तूफ़ान का डर होता है. 

बहते धारों के रुख बदल देना 
ये कहाँ सब में हुनर होता है.

सबमें तूफ़ान अपने अपने हैं
सबके अन्दर ही भंवर होता है.

लूटने वालों को मिलते हैं समर
चोट खाने को शजर होता है.

ऐ मेरी जाँ मैं वही हूँ  लेकिन
उम्र का कुछ तो असर होता है.

सूखे पेड़ों पे बहारों का असर
कम ही होता है, मगर होता है.

जब मैं इस और चला आता हूँ
तब कोई और उधर होता है.

जब नहीं होता अपने साथ 'सजल'
किसको मालूम किधर होता है.

समर=फल
शजर=पेड़



6 comments:

  1. सबमें तूफ़ान अपने अपने हैं
    सबके अन्दर ही भंवर होता है.waah

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद रश्मि जी और संगीता जी

    ReplyDelete
  3. सबमें तूफ़ान अपने अपने हैं
    सबके अन्दर ही भंवर होता है.
    वाह!

    ReplyDelete