देख लहरों में से निकला हुआ सर देख ज़रा।
पानी पानी हुआ ख्वाबों का वो घर देख ज़रा।
मैं तेरे ज़ोर-ओ-सितम करने की हद देखूंगा
तू मेरे जुल्मों को सहने का हुनर देख ज़रा।
यूँ तो मंज़र हैं ज़माने में ज़माने भर के
देखता हूँ मैं जिधर तू भी उधर देख ज़रा।
पार जाते वो सफीने तो सभी ने देखे
मेरी इस डूबती कश्ती का सफर देख ज़रा।
पानी पानी हुआ ख्वाबों का वो घर देख ज़रा।
मैं तेरे ज़ोर-ओ-सितम करने की हद देखूंगा
तू मेरे जुल्मों को सहने का हुनर देख ज़रा।
मैं कहीं हूँ तू कहीं लख्त-ए- जिगर और कहीं
सूखे पत्तों पे हवाओं का असर देख ज़रा।यूँ तो मंज़र हैं ज़माने में ज़माने भर के
देखता हूँ मैं जिधर तू भी उधर देख ज़रा।
पार जाते वो सफीने तो सभी ने देखे
मेरी इस डूबती कश्ती का सफर देख ज़रा।
वाह बहुत बढ़िया! लिखते रहिये!
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